गुरुवार, 28 अगस्त 2025

कुछ पल

कुछ पल
साथ चले भी कोई
तो क्या होता है
क़दम-दर-क़दम
रास्ता तो
अपने क़दमों से
तय होता है

कुछ क़दम संग
चलने से फिर
न कोई अपना
न पराया होता
बस, केवल
वे पल जीवंत 
और
सफ़र सुहाना होता है

- किरण मल्होत्रा
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