शिशु लोरी के शब्द नहीं
संगीत समझता है,
बाद में सीखेगा भाषा
अभी वह अर्थ समझता है।
संगीत समझता है,
बाद में सीखेगा भाषा
अभी वह अर्थ समझता है।
समझता है सबकी भाषा
सभी के अल्ले ले ले ले,
तुम्हारे वेद पुराण कुरान
अभी वह व्यर्थ समझता है।
अभी वह अर्थ समझता है।
समझने में उसको, तुम हो
कितने असमर्थ, समझता है
बाद में सीखेगा भाषा
उसी से है, जो है आशा।
- नरेश सक्सेना।
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संपादकीय पसंद
अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअर्थ तो शब्दों का निकाला जाता है। शायद कवि यह कह रहे हैं की शिशु उस प्रेम भरे भाव का मर्म बिना शब्दों के समझने में सक्षम है
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