मंगलवार, 19 मार्च 2024

हँसी का रंग हरा होता है

हँसी का रंग हरा होता है 
जहाँ-जहाँ भी हरापन है 
तेरे ही खिलखिलाने की अनुगूँज है वहाँ-वहाँ 

कल्पना का रंग होता है आसमानी 
जहाँ तक पसरा हुआ है आसमान 
तेरी कल्पनाओं के दायरे में आता है... 

ज़िद का रंग होता है बहुत गहरा 
इतना कि एक बार जिस चीज़ की रट लगा लेती है तू 
हमारी किसी भी समझाइश का रंग 
चढ़ता ही नहीं उस पर 

और रोने का रंग...? 
वह तो किसी रंग जैसा 
होता ही नहीं 
क्योंकि जब रोती है तू 
रंगों के चेहरे पड़ जाते हैं फीके 

रंग जो हमेशा 
भरपूर चटखीलेपन में 
जीना चाहते हैं 
चाहते हैं पृथ्वी भर हरापन 

क्योंकि तेरी हँसी का रंग 
हरा होता है।

- हेमंत देवलेकर।
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