रविवार, 7 जनवरी 2024

जो जीवन की धूल चाटकर बड़ा हुआ है

जो जीवन की धूल चाटकर बड़ा हुआ है 
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है 
जो रवि के रथ का घोड़ा है 
वह जन मारे नहीं मरेगा 
नहीं मरेगा 

जो जीवन की आग जलाकर आग बना है 
फ़ौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है 
जो युग के रथ का घोड़ा है 
वह जन मारे नहीं मरेगा 
नहीं मरेगा

- केदारनाथ अग्रवाल।

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