गुरुवार, 4 जनवरी 2024

प्रभात

रात अपने ख़ेमे को उखाड़कर चली गई, 
पानी के बँधे हुए जूड़े में सरोज खिले 
और नई रौशनी जवान हुई।

- केदारनाथ अग्रवाल।
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संपादकीय चयन 

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