मंगलवार, 7 मई 2024

करुणा का पाठ

माँ, मुझे करुणा का अर्थ नहीं आता
बार-बार पूछता हूँ टीचर ‘सर’ से
वे झुँझला कर बताते हैं बहुत से अर्थ
उलझे-उलझे
लेकिन कितना छूट जाता है पीछे
 
मैं कहता हूँ रहने दें सर
माँ से पूछ लूँगा
वे हँसते हैं
 
जब अँधेरा टूटने को होता है
कुछ रोशनी में तुम्हारा प्रसन्न मुख देखता हूँ
तभी करुणा के सारे अर्थ
मेरी समझ में आ जाते है
सीधे सरल अर्थ
आशा रहित दिनों में
तुम कठिन शब्दों का अर्थ समझाती हो
किस कक्षा तक
पता नहीं माँ 
तुम किस स्कूल में पढ़ी हो?
 
- नंद चतुर्वेदी।
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अनूप भार्गव के सौजन्य से

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