सोमवार, 27 मई 2024

घंटी

फ़ोन की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदलकर सो गया

दरवाज़े की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदलकर सो गया

अलार्म की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदलकर सो गया

एक दिन
मौत की घंटी बजी...
हड़बड़ाकर उठ बैठा-
मैं हूँ... मैं हूँ... मैं हूँ..

मौत ने कहा-
करवट बदलकर सो जाओ।

- कुँवर नारायण
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से

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