रविवार, 12 मई 2024

होटल

एक

सब कुछ यही रहता।

ऐसी ही थाली
ऐसी ही कटोरी, ऐसा ही गिलास
ऐसी ही रोटी और ऐसा ही पानी;

बस थाली के एक तरफ़
माँ ने रख दी होती एक सुडौल हरी मिर्च
और थोड़ा-सा नमक।

 दो 

जैसे ही कौर उठाया
हाथ रुक गया।

सामने किवाड़ से लगकर 
रो रहा था वह लड़का
जिसने मेरे सामने
रक्खी थी थाली।

- अरुण कमल
----------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें