सम्राट एडवर्ड अष्टम ने उतार फेंका था इसे
दरअसल यह
प्रेमिका के साथ सिर जोड़कर बतियाने में आड़े आता था
और प्रेमिका भी
रानी नहीं थी कोई कि पटरानी बनने की चाह में
मुकुट से प्यार करती
साधारण स्त्री थी और सचमुच ही एडवर्ड से प्यार करती थी
बुद्ध और महावीर ने ठोकरों पर उछाल दिया था इसे
वे दुख का कारण जानना चाहते थे
और दुख के कारण का पता
आदमी के पास आदमी की तरह जाने से चलता है
सुनते हैं कि विक्रमादित्य
भटकता था रात-बिरात
गली कूचों मुहल्लों में
अपना मुकुट उतारकर
उसका शासन श्रेष्ठ बताया जाता है
और गाँधी ने तो इसे पहना ही नहीं
उन्हें अपनी आत्मा के गहने इतने प्रिय थे
कि मुकुट धारण करने का खयाल तक हिंसा लगता था
वे इसकी तरफ़ देखकर
एक मासूम बच्चे की तरह मुस्कुराते थे
पूणी कातते थे
चरखा चलाते थे
बकरियों को चारा खिलाते थे
- विनोद पदरज।
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विजया सती के सौजन्य से
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