बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

दूब

देखो न! 
सारा संसार 
समझ की हिमपात से 
ठिठुर रहा है 

कहीं भी तो 
कोई संकेत 
रहा नहीं शेष 
जीवन का! 

आओ कि 
तुम अपनी नासमझी की 
एक दूब उगाओ 

संसार को फिर से 
हरा-भरा बनाओ।

- मेधा।
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संपादकीय चयन 

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