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बुधवार, 17 सितंबर 2025

घूम रहा है तन्हा चाँद

यादों की आबाद गली में 
घूम रहा है तन्हा चाँद 

इतने घने बादल के पीछे 
कितना तन्हा होगा चाँद 

आँसू रोके नूर नहाए 
दिल दरिया तन सहरा चाँद 

इतने रौशन चेहरे पर भी 
सूरज का है साया चाँद 

जब पानी में चेहरा देखा 
तूने किस को सोचा चाँद 

बरगद की इक शाख़ हटाकर 
जाने किस को झाँका चाँद 

बादल के रेशम झूले में 
भोर समय तक सोया चाँद 

रात के शाने पर सर रक्खे 
देख रहा है सपना चाँद 

सूखे पत्तों के झुरमुट पर 
शबनम थी या नन्हा चाँद 

हाथ हिलाकर रुख़सत होगा 
उसकी सूरत हिज्र का चाँद 

सहरा-सहरा भटक रहा है 
अपने इश्क़ में सच्चा चाँद 

- परवीन शाकिर
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