गुरुवार, 11 सितंबर 2025

नमक

था तो चुटकी भर ज़्यादा 
लेकिन पूरे स्वाद पर उसी का असर है 
सारी मेहनत पर पानी फिर गया 

अब तो जीभ भी इंकार कर रही है 
उसे नहीं चाहिए ऐसा स्वाद जो 
उसी को गलाने की कोशिश करे

ग़लती नमक की भी नहीं है 
उसने तो सिर्फ़ यही जताया है कि 
चुटकी-भर नमक भी क्या कर सकता है 

- शंकरानंद
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विजया सती की पसंद 

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