लेकिन पूरे स्वाद पर उसी का असर है
सारी मेहनत पर पानी फिर गया
अब तो जीभ भी इंकार कर रही है
उसे नहीं चाहिए ऐसा स्वाद जो
उसी को गलाने की कोशिश करे
ग़लती नमक की भी नहीं है
उसने तो सिर्फ़ यही जताया है कि
चुटकी-भर नमक भी क्या कर सकता है
- शंकरानंद
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विजया सती की पसंद
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