सागर - तन मीन
कहाँ बसूँ मैं?
2. कितना लूटा
धन संपदा यश
घर न मिला
3. चंदन - सांझ
रच बस गई है
मन खाली था
4. स्याही से मत
लिखो, रचनाओं को
मन उकेरो
5. बच्चे को मत
पढ़ाओ तुम, मन
उसका पढ़ो
- ऋतु पल्लवी
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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