रविवार, 21 सितंबर 2025

हाइकु

1. नभ में पंछी
    सागर - तन मीन
    कहाँ बसूँ मैं?

2. कितना लूटा 
    धन संपदा यश
    घर न मिला

3. चंदन - सांझ
    रच बस गई है 
    मन खाली था

4. स्याही से मत
    लिखो, रचनाओं को 
    मन उकेरो

5. बच्चे को मत
    पढ़ाओ तुम, मन 
    उसका पढ़ो

- ऋतु पल्लवी 
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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