जिन्हें
कहती है दुनिया दोस्त
चुटकियों में नहीं बनते
पहचाने जा सकते हैं
चुटकियों में
पड़ जाते है जो
एक ही आँच में लाल
दुनिया उन्हें
दोस्त नहीं मानती
दोस्ती
धीरे-धीरे तपती है
और
तपती ही जाती है
फिर पकती है कहीं
करोड़ों पलों के
मौन से गुज़रकर
मैं भी धीरे-धीरे
पकना चाहता हूँ।
- अनिल करमेले
------------------
विजया सती की पसंद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें