बुधवार, 24 सितंबर 2025

फूल अगर कुम्हलाएँगे

फूल अगर कुम्हलाएँगे
गुंचे फिर खिल जाएँगे

कितनी अच्छी बस्ती है
हम भी घर बनवाएँगे

हाथ तुम्हारा थामा है
अब तो साथ निभाएँगे

अपना दुख मत कहना तुम
सुनकर लोग चिढ़ाएँगे

भीगी आँखों ने पूछा
कब तक धुआँ उड़ाएँगे

- एम आई ज़ाहिर
-------------------

हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें