यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हा चाँद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद
आँसू रोके नूर नहाए
दिल दरिया तन सहरा चाँद
इतने रौशन चेहरे पर भी
सूरज का है साया चाँद
जब पानी में चेहरा देखा
तूने किस को सोचा चाँद
बरगद की इक शाख़ हटाकर
जाने किस को झाँका चाँद
बादल के रेशम झूले में
भोर समय तक सोया चाँद
रात के शाने पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद
सूखे पत्तों के झुरमुट पर
शबनम थी या नन्हा चाँद
हाथ हिलाकर रुख़सत होगा
उसकी सूरत हिज्र का चाँद
सहरा-सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चाँद
- परवीन शाकिर
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विजया सती की पसंद
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