हम कभी चाँद पर नहीं होते
सिर्फ़ जंगल में ढूँढते क्यूँ हो
भेड़िये अब किधर नहीं होते
कब की दुनिया मसान बन जाती
इस में शाइ'र अगर नहीं होते
किस तरह वो ख़ुदा को पाएँगे
ख़ुद से जो बे-ख़बर नहीं होते
पूछते हो पता ठिकाना क्या
हम फ़क़ीरों के घर नहीं होते
- उदय भानु हंस
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद
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