बुधवार, 10 सितंबर 2025

ज़िंदगी को जिया मैंने

ज़िंदगी को जिया मैंने 
इतना चौकस होकर 
जैसे नींद में भी रहती है सजग 
एक चढ़ती उम्र की लड़की 
कि उसके पैरों से कहीं चादर न उघड जाए

- अलका सिन्हा
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