करते हैं, मगर
मन की नहीं
० अकेली तो हूँ
मगर भीड़ को भी
ओढ़ लेती हूँ
० विश्वास टूटा
मानवता का एक
पाठ पा लिया
० भोग्या - नारी
विज्ञापन जग के
नशे से बचो
० माँ ने भी जब
छोटी बात बनाई
लगी पराई
- ऋतु पल्लवी
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद
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