सोमवार, 16 दिसंबर 2024

विश्व शांति का स्वप्न

जब बजता है गहन रात्रि में
ठीक बारह बजे का घंटा
और दुनिया के अमन पसंद देश
मध्य रात्रि में देख रहे होते हैं
विश्व शांति का स्वप्न

उसी क्षण दुनिया के
किसी कोने में बजता है
युद्ध का बिगुल
और तमाम सभ्यताएँ
हो जाती है धराशाई

उजड़ जाते पेड़ की शाखाओं के
न जाने कितने घौंसले

उसी समय रात्रि के
अंतिम पहर एक छोटे से देश से
उड़ कर आया कबूतर
लाता है अमन शांति का दिव्य संदेश
और हम देश की सीमाओं, सरहदों से परे

जुड़ जाते हैं भावात्मक एकता में
नई ज्योति जलाकर
बन जाते हैं शांति के अग्रदूत!

- वंदना गुप्ता
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संपादकीय चयन 

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