गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

हर हाल में बेजोड़

तिनका हूँ
सूखता हुआ। 

लेकिन फिर भी
जंगल का एक बेजोड़ हिस्सा। 

जब हरा-भरा होने में था
तो सूखने में भी हूँ।

- वेणु गोपाल
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संपादकीय चयन 

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