होशियारी और तर्क से उपजे
आरोप और उलाहने देते है
प्रेम में सिर्फ़ दुख
इसीलिए मैं तुम्हारे पास
आने से पहले ताख़ पर
रख आती हूँ
समझदारी होशियारी और अपना
ज़िद्दी स्वभाव
मूर्ख और अंजान बनकर
हम भरपूर जीते है
प्रेम का अनंत सुख
एक बार फिर से
तुम सुनाना मुझे
ढेर सारी झूठी कहानियाँ
मैं जी लूँगी तुम्हारे
प्रेम का अनंत सुख...(वत्सु)
- वत्सला पांडेय
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संपादकीय चयन
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