मंगलवार, 17 जून 2025

ये समय है

ये समय है 
बोलने का समय है
खुलेआम
भेद खोलने का समय है

लोग शोर में ज़िंदगी गुज़ारने लगे हैं
शोर मचाकर चुप रहना सीख जाते हैं
बोलना बेकार हो जाता है
लोग बोलना बंद करते जा रहे हैं
तभी तो बोलियाँ मिटती जा रही हैं
गोलियों की आवाज़ बढ़ती जा रही है

ये बेख़बर रहकर जीने का नहीं
समझकर बोलने का समय है
ये शैतान से संवाद का समय है
हैवान से जेहाद का समय है

ये किसी के बचने का नहीं
इसीलिए सबको बचाने का समय है
ये समय काम आ जाए तो बहुत अच्छा
न आए तो फिर सबके मिट जाने का समय है

- ध्रुव शुक्ल
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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