आने पर मेरे बिजली-सी कौंधी सिर्फ़ तुम्हारे दृग में
लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे!
मैं आया तो चारण-जैसा
गाने लगा तुम्हारा आँगन;
हँसता द्वार, चहकती ड्योढ़ी
तुम चुपचाप खड़े किस कारण?
मुझको द्वारे तक पहुँचाने सब तो आए, तुम्हीं न आए,
लगता है एकाकी पथ पर मेरे साथ तुम्हीं होओगे!
लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे!
मौन तुम्हारा प्रश्नचिह्न है,
पूछ रहे शायद कैसा हूँ
कुछ-कुछ चातक से मिलता हूँ
कुछ-कुछ बादल के जैसा हूँ;
मेरा गीत सुना सब जागे, तुमको जैसे नींद आ गई,
लगता मौन प्रतीक्षा में तुम सारी रात नहीं सोओगे!
लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे!
परिचय से पहले ही बोलो,
उलझे किस ताने-बाने में?
तुम शायद पथ देख रहे थे,
मुझको देर हुई आने में;
जगभर ने आशीष पठाए, तुमने कोई शब्द न भेजा,
लगता है तुम मन-बगिया में गीतों का बिरवा बोओगे!
लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे!
- रामावतार त्यागी
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