गुरुवार, 5 जून 2025

शर्म

अपने बच्चे को समझाती हूँ
दुनिया अब भी बहुत सुंदर है
वह पूछता है कैसे?
और मैं सोचती हूँ कहाँ से शुरू करूँ
पेड़?
हवा?
पानी?
प्रेम?
सत्य?
करुणा?
बस इतने पर आकर ही
थकने लगती हूँ प्रश्न चिह्नों से

और जवाब की
उत्सुकता में ताकता मेरा चेहरा
वह समझ जाता है मेरी चुप्पी का अर्थ
और मैं छिपाती हूँ अपनी शर्म

दिखाती हूँ बस खिले हुए कुछ फूल।

- राकी गर्ग
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विजया सती की पसंद 

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