अपने बच्चे को समझाती हूँ
दुनिया अब भी बहुत सुंदर है
वह पूछता है कैसे?
और मैं सोचती हूँ कहाँ से शुरू करूँ
पेड़?
हवा?
पानी?
प्रेम?
सत्य?
करुणा?
बस इतने पर आकर ही
थकने लगती हूँ प्रश्न चिह्नों से
और जवाब की
उत्सुकता में ताकता मेरा चेहरा
वह समझ जाता है मेरी चुप्पी का अर्थ
और मैं छिपाती हूँ अपनी शर्म
दिखाती हूँ बस खिले हुए कुछ फूल।
- राकी गर्ग
------------
विजया सती की पसंद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें