नदी पूरी नदी कहाँ होती है
थोड़ी माँ होती है
पहाड़ होते हैं पिता
शामिल होते हैं सुख-दुख में
बारिशें दे देती हैं हमें सब कुछ
अपने तरीक़े से
आकाश और धरती की मंत्रणा से
बिछा देती हैं हरियाली जीवन में
वृक्ष पूरे वृक्ष कहाँ होते हैं
होते हैं सहोदर
जीवन की विचलिताओं में
भर देते हैं ऊष्मा
धरती पूरी धरती कहाँ होती है
होती है स्त्री
आँधी-तूफ़ानों में विवेक संज्ञान बन
बाँध लेती है हमारी हताशाओं को
अपने पल्लू की गाँठ में
आसमान पूरा नीला कहाँ होता है
होता है सखा
जो हमारे स्याह अँधेरों को
छिपा लेता है अपने सीने में
चाँद पूरा चाँद कहाँ होता है
होता है प्रेमी
जो प्रेमिका की उदास आँखों में
बाँध देता है रोशनी की लड़ियाँ
समुद्र पूरा समुद्र कहाँ होता है
होता है उत्सव
जो जीवन के कोलाहल को
बदल देता है उत्ताल लहरों की उमंगो में।
- वंदना गुप्ता
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संपादकीय चयन