मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

लेखनी धर्म

शांति से 
रक्षा न हो, 
तो युद्ध में 
अनुरक्ति दे
लेखनी का 
धर्म है, 
युग-सत्य को 
अभिव्यक्ति दे!

छंद-भाषा-भावना 
माध्यम बने 
उद्घोष का
संकटों से 
प्राण-पण से 
जूझने की शक्ति दे!

- शैलेश मटियानी
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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