बुधवार, 16 अप्रैल 2025

क़ातिल मिसाल देता है

वो मिल के ग़ैर से ग़म को उबाल देता है

कि मेरी आंखों से दरिया निकाल देता है


तू इंसां होके भी मायूस उसकी रहमत से

जो एक कीड़े को पत्थर में पाल देता है


मैं इस अदा से हुई क़त्ल उसके हाथों से

मेरे तड़पने की क़ातिल मिसाल देता है


वो इक फ़क़ीर जो कासे को उल्टा रखता है

अमीर ए शहर को मुश्किल में डाल देता है


बंधी हैं उसके ही दामन से मेरी उम्मीदें

जो मेरे दिल को हवा में उछाल देता है


- नुजहत अंजुम

-----------------


हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें