पथरिया पहाड़ी की ऊँचाई पर
आज हम
उन्नत मन, उन्नत सिर
नीचे गहरी खाई को
हिकारत से देखते हैं ।
धरती ने
गहरी खाई तक धँस कर
हमें यह ऊँचाई दी है...।
ताल ठोंक कर
खाई पर दावा है,
हम उससे ऊँचे हैं... ।
- धनंजय वर्मा
----------------
- हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें