सोमवार, 5 मई 2025

नदी

 इस तरह देखता रहा

बहती हुई नदी को


जैसे

तुम्हें देखता हूँ


मैं रेगिस्तान का आदमी

और किस तरह देखता


बहती हुई

नदी को!


- कृष्ण कल्पित

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-हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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