रविवार, 18 मई 2025

स्नेह


स्नेह है 
एक शुद्ध भाव 
एक तरंग पर 
तैरती दो नाव 
कभी अधिकार 
कभी कर्तव्य 
कभी साहचर्य 
कभी अपेक्षा 
पर इन सबसे ऊपर 
एक शुभ इच्छा 
कि तुम जहाँ रहो 
खुश रहो 
दुख तुम्हें छुए भी नहीं 
और कभी तुम्हारे हृदय की 
अनगिनत स्मृतियों में 
एक मेरा भी नाम हो!

-  जया आनंद

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-हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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