सोमवार, 19 मई 2025

सपने

मैंने

सपनों के गुब्बारे

उड़ाए


वे / आकाश में

विलीन हो गए


फिर

इतना संतोष / कि वे कभी

कहीं तो उतरेंगे ।


- पूरन मुद्गल

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- हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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