शुक्रवार, 30 मई 2025

अभिनय क्या आत्महत्या है



विस्मित देखते हैं लोग

मुझको अन्य होते हुए

और रेशा-रेशा मर रहा हूँ मैं

अनुपल जन्म लेता हुआ :

यही तो होता है हर बार।


अभिनय क्या आत्महत्या है

नए जन्म के लिए

जिसमें अपने को ख़ुद

जनता हूँ मैं

जनकर मार देता हूँ!


 - नंदकिशोर आचार्य

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- हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 



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