सोमवार, 26 मई 2025

कवि का संकल्प


                                                                                                                                                                      घात के प्रतिघात के फण पर सदा चलता रहूँगा

किन्तु फिर भी लोक को आलोक से भरता रहूँगा


मृत्युंजयी हूँ, है मुझे अमरत्व का वरदान शाश्वत

युग -युगांतर तक बनेंगे अमर मेरे गान शाश्वत

एक अंतर्द्वंद्व शेष है जो कह न पाया

मनुज काया का अभी कर गूढ़ता भेदन न पाया

यह अनिश्चित प्रश्नवाचक चिह्न सी कब से खड़ी है

निःसारता ही सार इसका भेद यह मैं जानता हूँ


किन्तु मैं तो साधना की वह्नि में तपता रहूँगा

किन्तु फिर भी लोक को आलोक से भरता रहूँगा


-डा. अरुण प्रकाश अवस्थी

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-हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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