गुरुवार, 22 मई 2025

यात्रा

जब आता है इस धरती पर मनुष्य

वह होता है निडर

नहीं जानता डर नाम की किसी चीज़ को

धीरे-धीरे लगता है डरने

धरती की हर चीज़ से

उसे डराते हैं उसके तमाम विश्वास

उसके सपने, रिश्ते, उसके अपने

टूट जाती है उसकी-

हिम्मत और हौसलों की लाठी

डरने लगता है वह अपनी ही परछाईं से

डरता हुआ मनुष्य

कहीं से भी नहीं लगता मनुष्य ।


- कुमार कृष्ण

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- हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 



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