मंगलवार, 10 सितंबर 2024

पेड़ कटे तो छाँव कटी फिर

पेड़ कटे तो छाँव कटी फिर आना छूटा चिड़ियों का
आँगन-आँगन रोज़ फुदकना गाना छूटा चिड़ियों का

आँख जहाँ तक देख रही है चारों ओर बिछी बारूद
कैसे पाँव धरें धरती पर‚ दाना छूटा चिड़ियों का

कोई कब इल्ज़ाम लगा दे उन पर नफ़रत बोने का
इस डर से ही मंदिर-मस्जिद जाना छूटा चिड़ियों का

मिट्टी के घर में इक कोना चिड़ियों का भी होता था
अब पत्थर के घर से आबोदाना छूटा चिड़ियों का

टूट चुकी है इंसानों की हिम्मत कल की आँधी से
लेकिन फिर भी आज न तिनके लाना छूटा चिड़ियों का

कमलेश भट्ट 'कमल'
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संपादकीय चयन 

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