वो जिन्होंने चाहा था युद्ध
वो जो नहीं चाहते थे युद्ध
बँट रही थी दुनिया
इन दो के बीच
दृश्य अपनी भयानकता के साथ
किसी चलचित्र की तरह नहीं
पृथ्वी के वक्ष पर चल रहा था
झुलस रही मानवता के बीच
कराहें थी स्त्री, पुरुष और बच्चों की
जिन पर अनचाहे ही थोपा गया था
ये सब।
जिन्हें मारा गया था उत्सव मनाते हुए
और उन्हें भी जो जीना चाहते थे
प्यार करते हुए
दुनिया के बड़े-बड़े नेता
अपने-अपने पक्ष में गढ़ रहे थे तर्क
झुलस गई थीं फसलें
फूलों ने इंकार कर दिया था खिलने से
गिरती मिसाइलों और चीखों के बीच
बच्चा अचंभित था
बड़ों का ये कौन-सा खेल है
और इस में जीत कैसी होगी।
- राजेश अरोड़ा
-----------------
हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें