जितनी भी जल्दी तुम मिलकर
अपने क़दम बढ़ा लोगे
उतनी ही जल्दी तुम अपनी
धरती स्वर्ग बना लोगे।
अपने क़दम बढ़ा लोगे
उतनी ही जल्दी तुम अपनी
धरती स्वर्ग बना लोगे।
शक्ति न हो मेरी जनता में
मैं यह मान नहीं सकता
कितने लाल छिपे गुदड़ी में
मैं अनुमान नहीं सकता,
ढूँढ़ोगे तो अपने घर में
हीरे-मोती पा लोगे,
उतनी ही जल्दी तुम अपनी
धरती स्वर्ग बना लोगे।
वह अतीत मेरे भारत का
गर्व कि जिस पर होता है
उससे भी उज्ज्वल भविष्य
उसकी पलकों में सोता है,
जागेंगे पलकों के सपने
यदि तुम उन्हें जगा लोगे
उतनी ही जल्दी तुम अपनी
धरती स्वर्ग बना लोगे।
एक अकेला थकता राही
दो हों तो मंज़िल कटती
अगर करोड़ों क़दम साथ हों
तो पथ की दूरी घटती,
मंज़िल भी दौड़ी आएगी
यदि तुम उसे बुला लोगे
उतनी ही जल्दी तुम अपनी
धरती स्वर्ग बना लोगे।
- मदनलाल मधु
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कविता कोश से साभार
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