नाम दुनिया में कमाना चाहिए
कारनामा कर दिखाना चाहिए
चुटकियों में कोई फ़न आता नहीं
सीखने को इक ज़माना चाहिए
जोड़कर तिनके परिदों की तरह
आशियाँ अपना बनाना चाहिए
तालियाँ भी बज उठेंगी ख़ुद-ब-ख़ुद
शेर कहना भी तो आना चाहिए
लफ्ज़ ‘महरिष’, हो पुराना, तो भी क्या?
इक नए मानी में लाना चाहिए
- रामप्रसाद शर्मा 'महर्षि'
---------------------------
हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें