रविवार, 29 सितंबर 2024

आप भी आइए

आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती जुर्म नहीं दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक़्त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर बनाते रहिए।

- जावेद अख़्तर
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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