बात पुरानी है।
तब बस तीन ही रंग थे।
लाल, पीला और नीला!
लाल रहता था हर लज़ीज़ वस्तु में,
जैसे टमाटर, सेब, चेरी और आलूबुख़ारे।
पीले ने बनाया था सूरज को चमकदार
जो मुस्कुराकर देता था रोशनी लगातार।
आसमान भी नीला था और समुंदर भी।
पेड़ों से टपकती बारिश भी नीली ही थी।
तीनों पक्के दोस्त थे।
एक दिन उन्होंने कहा, “हमें और दोस्त चाहिए। चलो नए दोस्त बनाएँ।” और वे निकल पड़े दोस्तों की तलाश में।
और देखो क्या हुआ!
लाल और पीला साथ चले
तो एक नया दोस्त मिला—नारंगी
पीले और नीले ने हाथ मिलाया
तो एक नया दोस्त मिला—हरा
लाल और नीले के पास आते ही
एक नया दोस्त मिला—बैंगनी
और इस तरह उन्होंने दुनिया को बना दिया दोस्ताना और रंगीन।
-इंदु हरिकुमार
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- हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से