सोमवार, 8 अप्रैल 2024
इच्छा
मैं जब उठूँ तो भादों हो
पूरा चंद्रमा उगा हो ताड़ के फल सा
गंगा भरी हो धरती के बराबर
खेत धान से धधाए
और हवा में तीज त्यौहार की गमक
इतना भरा हो संसार
कि जब मैं उठूँ तो चींटी भर जगह भी
खाली न हो
- अरुण कमल।
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