बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं

सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं
हर एक मोड़ पे कुछ लोग छूट जाते हैं

ये जानकर भी कि पत्थर हर एक हाथ में है
जियाले लोग हैं शीशों के घर बनाते हैं

जो रहने वाले हैं लोग उनको घर नहीं देते
जो रहने वाला नहीं उसके घर बनाते हैं

जिन्हें ये फ़िक्र नहीं सर रहे न रहे
वो सच ही कहते हैं जब बोलने पे आते हैं

कभी जो बात कही थी तिरे तअ'ल्लुक़ से
अब उसके भी कई मतलब निकाले जाते हैं

- आबिद अदीब
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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