सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

सफ़र पर

यह वक्त शब्दों के दीए जलाने का है
कहा एक कवि ने
और मैंने सचमुच एक दीया जलाकर
आँगन में रख दिया

वह लड़ता रहा अँधेरे से
लड़ता रहा आँधियों से
लड़ता रहा एक पूरी रुत से
और धीरे-धीरे
मेरे जिस्म में एकाकार हो गया

अब मेरे हर शब्द में है एक मशाल
और शब्द निकले हैं सफ़र पर।

- गुरमीत बेदी
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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