बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

कई बार ऐसा हुआ

कई बार ऐसा हुआ
शब्द हाथों से छूटकर
टूटकर बिखर गए
ज़मीन पर

अपनी ही तलाश में
शब्दों को गढ़ा कई बार
आवरण में रखा सहेजकर
और वो दर्द सहा
जो ख़ुद को छिपाने में रहा

कई बार ऐसा हुआ
अपने ही ख़िलाफ़ तन गए हम
यूँ ही ख़ुद से रूठकर

- हेमंत जोशी
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संपादकीय चयन 

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