कई बार ऐसा हुआ
शब्द हाथों से छूटकर
टूटकर बिखर गए
ज़मीन पर
अपनी ही तलाश में
शब्दों को गढ़ा कई बार
आवरण में रखा सहेजकर
और वो दर्द सहा
जो ख़ुद को छिपाने में रहा
कई बार ऐसा हुआ
अपने ही ख़िलाफ़ तन गए हम
यूँ ही ख़ुद से रूठकर
- हेमंत जोशी
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संपादकीय चयन
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