बुधवार, 5 फ़रवरी 2025

तुम्हीं से सीखा

नक़्श की तरह उभरना भी तुम्हीं से सीखा 
रफ़्ता रफ़्ता नज़र आना भी तुम्हीं से सीखा 

तुम से हासिल हुआ इक गहरे समुंदर का सुकूत 
और हर मौज से लड़ना भी तुम्हीं से सीखा 

अच्छे शेरों की परख तुम ने ही सिखलाई मुझे 
अपने अंदाज़ से कहना भी तुम्हीं से सीखा 

तुम ने समझाए मिरी सोच को आदाब अदब 
लफ़्ज़ ओ मअनी से उलझना भी तुम्हीं से सीखा 

रिश्ता-ए-नाज़ को जाना भी तो तुम से जाना 
जामा-ए-फ़ख़्र पहनना भी तुम्हीं से सीखा 

छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था 
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्हीं से सीखा

- ज़ेहरा निगाह
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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