मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

सुना है

 सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है 
सुना है शेर का जब पेट भर जाए तो वो हमला नहीं करता 
दरख़्तों की घनी छाँव में जा कर लेट जाता है 
हवा के तेज़ झोंके जब दरख़्तों को हिलाते हैं 
तो मैना अपने बच्चे छोड़ कर 
कव्वे के अंडों को परों से थाम लेती है 
सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े तो सारा जंगल जाग जाता है 
सुना है जब किसी नद्दी के पानी में 
बए के घोंसले का गंदुमी रंग लरज़ता है 
तो नद्दी की रुपहली मछलियाँ उस को पड़ोसन मान लेती हैं 

कभी तूफ़ान आ जाए, कोई पुल टूट जाए तो 
किसी लकड़ी के तख़्ते पर 
गिलहरी, साँप, बकरी और चीता साथ होते हैं 
सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है

- ज़ेहरा निगाह 

- अनूप भार्गव के सौजन्य से 

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