गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

त्रिवेणी

1. उड़ के जाते हुए पंछी ने बस इतना ही देखा
देर तक हाथ हिलती रही वह शाख़ फ़िज़ा में 

अलविदा कहने को? या पास बुलाने के लिए?

2. सब पे आती है सब की बारी से 
मौत मुंसिफ़ है कम-ओ-बेश नहीं 

ज़िंदगी सब पे क्यों नहीं आती?

3. रात के पेड़ पे कल ही तो उसे देखा था -
चाँद बस गिरने ही वाला था फ़लक से पककर 

सूरज आया था, ज़रा उसकी तलाशी लेना

4. मां ने जिस चाँद-सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझे
आज की रात वह फ़ुटपाथ से देखा मैंने

रात भर रोटी नज़र आया है वो चाँद मुझे

5. सारा दिन बैठा, मैं हाथ में लेकर खा़ली कासा (भिक्षापात्र)
रात जो गुज़री, चाँद की कौड़ी डाल गई उसमें

सूदखो़र सूरज कल मुझसे ये भी ले जायेगा।

- गुलज़ार 
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

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