बुधवार, 8 नवंबर 2023

तुम से आप

तुम भी जल थे
हम भी जल थे
इतने घुले-मिले थे
कि एक-दूसरे से
जलते न थे।

न तुम खल थे
न हम खल थे
इतने खुले-खुले थे
कि एक दूसरे को
खलते न थे।

अचानक हम तुम्हें खलने लगे,
तो तुम हमसे जलने लगे।
तुम जल से भाप हो गए
और 'तुम' से 'आप' हो गए।

- अशोक चक्रधर।
------------------

विजया सती की पसंद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें