गुरुवार, 16 नवंबर 2023

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था 
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था 
हताशा को जानता था 
इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया 
मैंने हाथ बढ़ाया 
मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ 
मुझे वह नहीं जानता था 
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था 
हम दोनों साथ चले 
दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे 
साथ चलने को जानते थे।

- विनोद कुमार शुक्ल।
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विजया सती की पसंद 

1 टिप्पणी:

  1. ऐसे मानवीय सरोकार अब गय्यब होते जा रहे हैं कविता में।मैं तत्व आज प्रबल है।

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